Tuesday 4 December 2018

यूपी में कब होगी खत्म हिंसा!

यूपी में कब खत्म होगी हिंसा!
देवानंद सिंह
बुलंदशहर की घटना ने एक बार फिर सूबे की सियायत को गरमा दिया है। यह घटना जितनी दर्दनाक है, उतनी ही सियायत को कठघरे में खड़ा करने वाली भी है। राजनीतिक पार्टियां इस घटना पर भले ही अपनी सियायत चकमाने में कसर न छोड़े, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब प्रदेश में पुलिस के अफसर ही सुरक्षित नहीं हैं तो आम जनता का हाल क्या होगा? गोकशी की अफवाह पर भीड़ ने जिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की जान ले ली, उन्हें पहले ही धमकियां मिल रही थी। क्या पुलिस के आला महकमे और शासन को इसे गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए था? अगर, ऐसा होता तो शायद सुबोध कुमार आज जिंदा होते। अब चिंता इस बात की है कि प्रदेश में कब तक सुबोध कुमार सिंह जैसे इंस्पेक्टर भीड़ और सियासत की भ्ोंट चढ़ते रहेंगे। सरकार के पास क्या विकल्प है कि वह ऐसी ह्दयविदारक घटनाओं में रोक लगाने में सफल हो सके, क्योंकि बुलंदशहर पहला ऐसा क्ष्ोत्र नहीं है, जहां इस तरह की घटना हुई है। वह भी महज योगी राज में। इससे पूर्व कासगंज में भी इस तरह की घटना सामने आ चुकी है। अगर, ऐसी घटनाओं से सरकार और पुलिस का उच्च महकमा सुधरने की कोशिश नहीं कर रहा है तो यह पुलिस और सरकार की नाकामी को इंगित करने के लिए काफी है। लिहाजा, सरकार से उम्मीद की जानी चाहिए कि वह हिंसक घटनाओं से निपटने के कुछ उपाय खोजे और बड़े स्तर पर बैठे उन अधिकारियों पर नकेल कसे, जो घटना से पूर्व नहीं जागते हैं और ऐसी हिसंक घटनाओं से सबक लेने की जरूरत नहीं समझते हैं।

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