Friday 27 September 2019

खतरे में है ब्रह्मर्षि विकास मंच जमशेदपुर का अस्तित्व भाग 02

खतरे में है ब्रह्मर्षि विकास मंच जमशेदपुर का अस्तित्व
देवानंद सिंह

समाज को एक करने के लिए त्याग की जरूरत
वोट और कुर्सी की ही राजनीति करने के लिए आज के परिदृश्य में अधिकतर नेताओं ने सफल होने के लिए समाज को बांटना एवं उसमें विद्वेष फैलाना आवश्यक मान लिया है कम से कम ब्रह्मर्षि विकास मंच जमशेदपुर का तो यह मूल मंत्र बन चुका है देश के लगभग सभी राजनीतिक दलों ने ब्रह्मर्षि समाज को हाशिए पर रखा लोकसभा चुनाव के दौरान .अब जबकि विधानसभा चुनाव कई राज्यों में होने हैं झारखंड भी इसमें शामिल है बिहार के साथ-साथ झारखंड के ब्रह्मर्षियों में भी स्वाभिमान जागृत हुआ है बिहार में नवंबर में अधिवेशन है तो झारखंड में अक्टूबर में ऐसे में झारखंड की औद्योगिक राजधानी जमशेदपुर में इसकी गुनगुनाहट ना हो यह संभव हो नहीं सकता


पिछले कई दशक से ब्रह्मर्षि समाज जमशेदपुर की पहचान जातीय संगठन के रूप में नहीं बल्कि मानवीय संगठन के रूप में जमशेदपुर के मानचित्र पर उभर कर सामने आया था परंतु ब्रह्मर्षि विकास मंच के संस्थापक अध्यक्ष स्वर्गीय के के सिंह के अस्वस्थ होने के बाद एक बैठक कर सर्वसम्मति से पूर्व पुलिस उपाधीक्षक चंद्र माधव सिंह को अध्यक्ष बनाया गया था चंद्र माधव सिंह उस समय शहर में मौजूद नहीं थे शहर आगमन के समय जिस तरह से उनका जोरदार स्वागत हुआ वह इतिहास बना .वे अपना कार्यकाल भी अच्छी तरह से पूरा कर बेदाग निकलने की जी तोड़ कोशिश कर रहे थे अपने कार्यकाल के खत्म होने से पूर्व उन्होंने
जमशेदपुर ब्रह्मर्षि विकास मंच के गठन के लिए एक चुनाव संचालन समिति का गठन किया जिसकी सहमति आमसभा में उन्होनें लिया था

संस्थापक अध्यक्ष स्वर्गीय केके सिंह ने कमेटी के गठन के दौरान ही यह स्पष्ट रूप से कह दिया था की सामाजिक संगठन में राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होगा हम एक दूसरे के पूरक हैं जहां समाज को राजनीतिक लोगों का दरकार होगा हम उनसे मदद लेंगे और जब राजनीतिक दलों के नेताओं को समाज की दरकार होगी तो समाज पहली पंक्ति में खड़ा रहेगा परंतु ब्रह्मर्षि विकास मंच के गठन के किसी भी प्रक्रिया में राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होगा और आजीवन उसे उन्होंने निभाया भी .राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को मंच पर स्थान देकर राष्ट्रीय सामाजिक राजनीति में लंबी लकीर उन्होंने खींची थी जिसकी चर्चा पूरे देश में हुई थी जमशेदपुर के अखबारों की लगातार 8 दिनों तक सुर्ख़ियों में रहा था ब्रह्मर्षि विकास मंच का राष्ट्रीय अधिवेशन
  कैसे बटा समाज दो भाग में
चंद्र माधव सिंह ने अपना कार्यकाल पूरा होने के पूर्व
न्यू डीएस सामुदायिक भवन केबुल टाउन में एक बैठक बुलाकर कमेटी के गठन के लिए सभी सदस्यों से राय मांगे जबकि उसी बैठक में महासचिव सुधीर सिंह वर्तमान कमेटी के दूसरे कार्यकाल के लिए विस्तार की मांग कर रहे थे जिसका लोगों ने पुरजोर विरोध किया था इसके पीछे कारण था सांसद फंड से लिए गए पैसे को छुपाना सदस्यों का गुस्सा सातवें आसमान पर था सदस्यों का सीधा मांग था चुनाव इसके लिए बैठक में सर्वसम्मति से लोगों ने
यह निर्णय लिया कि अध्यक्ष अपने मन से 11 लोगों की एक कमेटी चुनाव संचालन समिति बनाकर चुनाव कराएं उन्होंने संचालन समिति बनाया भी परंतु अध्यक्ष चंद्र माधव सिंह ने किसी भी क्षेत्रीय कमेटी के पदाधिकारियों को अपने विश्वास में नहीं लिया जबकि सभी क्षेत्रीय पदाधिकारी उन्हीं के कार्यकाल में बनाए गए थे चूक यही हुई कि सभी संचालन समिति के सदस्य विभिन्न राजनीतिक दल से थे लोगों का कहना है कि पूर्व महासचिव के प्रभाव में आकर अध्यक्ष चंद्र माधव सिंह ने ऐसा किया हालांकि चंद्र माधव सिंह ने सूची बनाकर प्रभावशाली लोगों के पास इस सूची को भेजा भी था लेकिन समय पर किसी ने उसका जवाब नहीं दिया तो उन्होंने इसकी घोषणा अखबारों के माध्यम से जमशेदपुर में कर दी जिसका परिणाम हुआ कि लोगों ने खुलेआम यह कहना शुरू किया कि पूर्व महासचिव सुधीर सिंह की महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए इन्होंने इस कमिटी की घोषणा की है इसी बीच चुनाव संचालन समिति के कुछ सदस्य अपना काम करना चालू कर दिया जबकि कुछ सदस्य विवाद को देखते हुए कमेटी से अपने आप को दूर कर लिया
उससे पूर्व कमेटी की घोषणा में हुए देर के कारण एवं चर्चाओं के आधार पर की एक व्यक्ति विशेष को अध्यक्ष बनाने के लिए इस तरह की कमेटी की घोषणा की गई हैआनन-फानन में होटल क्रिस्टल में प्रोफेसर रामाशीष चौधरी की अध्यक्षता में एक बैठक हुई इस बैठक के आयोजन में वर्तमान प्रवक्ता उमानाथ सिंह उर्फ चुलबुल की महत्वपूर्ण भूमिका बतायी जाती है बैठक में विकास सिंह का नाम आगे कर दिया दूसरी तरफ संचालन समिति में शामिल भाजपा नेता रामनारायण शर्मा ने राम प्रकाश पांडे का नाम आगे कर दिया इसके बाद राजनीतिक दलों के नेताओं ने चक्रव्यूह की रचना ऐसी रची के सामाजिक ताना-बाना ही समाज का खत्म हो गया और अध्यक्ष चंद्रमाधव सिंह के हाथ से सब कुछ तब तक निकल चुका था
जिसका परिणाम हुआ की समाज दो खेमे में बटा कुछ इधर के हुए कुछ उधर के हुए एक गुट राम प्रकाश पांडे का बना तो दूसरा गुट विकास सिंह का बना और दोनों तरफ से दो चार लोग ऐसे जमा हुए जिन्होंने आग में घी डालने का काम किया
कल पढ़े समाज को बांटने ….

जारी

1 comment:

  1. संचालन समिति में समाज के पूर्व सैनिक को शामिल किया जाए, फिर देखें किसी की राजनीति नहीं चलेगी ।
    बिमल ओझा (पूर्व सैनिक नौसेना)

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