देवानंद सिंह
झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने गठबंधन की राजनीतिक सेट करने के बाद अब जनता को लुभाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए पार्टियों ने निश्चय-पत्र की घोषणाएं करने का सिलसिला शुरू कर दिया है। पहले चरण के चुनाव के लिए महज 2 दिन बचे हैं। इसीलिए राजनीतिक पार्टियों की जनता तक पहुंचने की कोशिश तेज हो गई है।
विपक्ष की तरफ से सीएम चेहरे के रूप में चुनावी मैदान में उतरे झामुमो नेता हेमंत सोरेन ने पहले चरण के चुनाव से ठीक पहले कई घोषणाएं कर डाली हैं। उन्होंने 2० पेज के निश्चय-पत्र में वे सभी मुद्दे शामिल किए हैं, जो राज्य के प्रमुख मुद्दे हैं। उन्होंने कहा कि झामुमो का निश्चय-पत्र आने वाले समय में राज्य को नई दिशा देगा। निश्चय-पत्र में मुख्य रूप उन्होंने भूमि अधिकार कानून बनाकर हर भूमिहीन को भूखंड देने का ऐलान किया है। इसके अलावा 25 करोड़ रूपए तक के सरकारी कार्यों की निविदा सिर्फ स्थानीय लोगों को देने की बात भी पत्र में शामिल की गई है। वहीं, स्थानीय रोजगार अधिकार कानून बना कर राज्य के निजी क्षेत्रों में 75 प्रतिशत नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित की करना भी झामुमो की प्राथमिकता में शामिल है। स्थानीय और नियोजन नीति को भी बदला जाएगा और उसे झारखंड वासियों के हितों के अनुरूप बनाया जाएगा। इस मुद्दे पर हेमंत सोरेन ने कहा कि यहां के लोगों की जनभावना के अनुरूप स्थानीय नीति बनाई जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि राज्य की मौजूदा स्थानीय नीति झारखंडवासियों की विरोधी है। इस मसले पर उन्होंने बीजेपी सरकार पर लापरवाही बरतने की आरोप भी लगाया, साथ ही महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर बीजेपी को आड़े हाथों भी लिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी देश में नए-नए राजनीतिक इतिहास रच रही है, जिसे हमेशा धब्बे के रूप में देखा और याद किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में जो कुछ बीजेपी ने किया, वह लोकतंत्र की हत्या किए जाने जैसा था। इसीलिए देश के साथ-साथ झारखंड की जनता परिवर्तन के मूड में है। सोरेन ने एक सवाल के जबाव में कहा कि किसी भी राज्य की राजधानी प्रदेश के लिए आईना होती है, लेकिन आप रांची की स्थिति देख सकते हो। उन्होंने कहा कि आज रांची में कोई भी दिन ऐसा नहीं गुजर रहा है कि जब लूट, हत्या, दुष्कर्म व छेड़खानी की घटनाएं नहीं घट रही हैं। यही वजह है कि प्रदेश की जनता बीजेपी से पूरी तरह तस्त्र है।
झामुमो ने निश्चय पत्र में जो अन्य घोषणाएं की हैं, उनमें पलामू, चाईबास व हजारीबाग को उप-राजधानी बनाना, किसानों की कर्जमाफी, खेतीहर मजूदरों को स्वरोजगार के लिए 15 हजार का अनुदान, महिलाओं को सरकारी नौकरी में 5० प्रतिशत आरक्षण, बेरोजगार युवकों के लिए बेरोजगारी भत्ता, सरकार के दो साल के अंदर पांच लाख युवाओं को नौकरी, पांच वर्षों तक उपयोग में नहीं लाए गए अधिग्रहित भूमि रैयतों को वापस करना, आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका एवं रपारा शिक्षकों के लिए सेवा शर्तों एवं वेतनमान का निर्धारण करना, पीएचडी तक लड़कियों को मुफत शिक्षा देना, पिछड़े वर्ग को नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण, गरीब सवर्ण छात्रों को मुफत शिक्षा व छात्रवृत्ति, सभी शहीदों के जन्म स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना, तीन साल तक के बच्चों वाली महिलाओं की न्यूनतम पुरूषों की मजदूरी से 15 प्रतिशत अधिक धनराशि देना, गरीबी रेखा से नीचे की महिलाओं को प्रतिमाह चूल्हा खर्च देने, झारखंड आंदोलनकारियों के लिए पेंशन योजना व शहीदों के आश्रितों के लिए कल्याण योजना, शहीदों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी में सीधी भर्ती के लिए कानून सहित कई अन्य घोषणाएं शामिल हैं। अभी ये सिर्फ घोषणाएं हैं, लेकिन इन घोषणाओं पर कितना अमल किया जाएगा, यह सत्ता में आने के बाद ही पता चलेगा। वैसे, झामुमो कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरी है। इसीलिए झामुमो अगर सत्ता में आ भी जाती है तो निश्चित ही इस चुनौती से इनकार नहीं किया जा सकता है कि उक्त घोषणाओं को लागू कर पाए। अगर, ऐसा होता भी है तो गठबंधन सरकार में तालमेल बहुत जरूरी होगा। इन स्थितियों में यह देखने वाली बात होगी कि गठबंधन में शामिल पार्टियों द्बारा जारी संयुक्त घोषणा-पत्र में शामिल कितने मुद्दे झामुमो के घोषणा-पत्र से मैच खाते हैं।
अगर, ऐसा होता है तो निश्चित ही झामुमो के लिए अपनी घोषणाएं लागू करना आसान हो जाएगा। अगर, गठबंधन का नेतृत्व हेमंत सोरेन कर रहे हैं तो वह निश्चित ही अपनी घोषणाओं पर बल देंगे। उधर, बीजेपी ने घोषणा-पत्र में शामिल मुद्दों को लेकर झामुमो का घेरा है, उससे भी आश्चर्य नहीं होता है, क्योंकि झामुमो और गठबंधन लगातार सरकार पर नाकामी का ठींकरा फोड़ रहे हैं और प्रदेश से बीजेपी सत्ता का उखाड़ फेंकने का दम भर रहे हैं। लिहाजा, बीजेपी ने भी झामुमो के घोषणा-पत्र को लेकर कटाक्ष करते हुए कहा है कि यह घोषणा-पत्र कांग्रेस के फलॉप आइडिया की नकल है।
इस संबंध में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष लक्षण गिलुवा ने कहा कि झामुमो के घोषणा-पत्र में मुंगेरी लाल के हसीन सपने दिखाए गए हैं। उन्होंने कहा कि 12वीं पास युवाओं को चार लाख रूपए तक का क्रेडिट कार्ड और महज 72 हजार रूपए की घोषणा को पूरा करने में ही राज्य के कुल बजट की आधी राशि खत्म हो जाएगी। इस प्रकार सभी योजनाओं का खर्च जोड़ लिया जाए, तो यह डेढ़-दो लाख करोड़ रूपए से अधिक हो जाएगा। हेमंत को बताना चाहिए कि ये पैसे कहां से आयेंगे ?
झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने गठबंधन की राजनीतिक सेट करने के बाद अब जनता को लुभाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए पार्टियों ने निश्चय-पत्र की घोषणाएं करने का सिलसिला शुरू कर दिया है। पहले चरण के चुनाव के लिए महज 2 दिन बचे हैं। इसीलिए राजनीतिक पार्टियों की जनता तक पहुंचने की कोशिश तेज हो गई है।
विपक्ष की तरफ से सीएम चेहरे के रूप में चुनावी मैदान में उतरे झामुमो नेता हेमंत सोरेन ने पहले चरण के चुनाव से ठीक पहले कई घोषणाएं कर डाली हैं। उन्होंने 2० पेज के निश्चय-पत्र में वे सभी मुद्दे शामिल किए हैं, जो राज्य के प्रमुख मुद्दे हैं। उन्होंने कहा कि झामुमो का निश्चय-पत्र आने वाले समय में राज्य को नई दिशा देगा। निश्चय-पत्र में मुख्य रूप उन्होंने भूमि अधिकार कानून बनाकर हर भूमिहीन को भूखंड देने का ऐलान किया है। इसके अलावा 25 करोड़ रूपए तक के सरकारी कार्यों की निविदा सिर्फ स्थानीय लोगों को देने की बात भी पत्र में शामिल की गई है। वहीं, स्थानीय रोजगार अधिकार कानून बना कर राज्य के निजी क्षेत्रों में 75 प्रतिशत नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित की करना भी झामुमो की प्राथमिकता में शामिल है। स्थानीय और नियोजन नीति को भी बदला जाएगा और उसे झारखंड वासियों के हितों के अनुरूप बनाया जाएगा। इस मुद्दे पर हेमंत सोरेन ने कहा कि यहां के लोगों की जनभावना के अनुरूप स्थानीय नीति बनाई जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि राज्य की मौजूदा स्थानीय नीति झारखंडवासियों की विरोधी है। इस मसले पर उन्होंने बीजेपी सरकार पर लापरवाही बरतने की आरोप भी लगाया, साथ ही महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर बीजेपी को आड़े हाथों भी लिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी देश में नए-नए राजनीतिक इतिहास रच रही है, जिसे हमेशा धब्बे के रूप में देखा और याद किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में जो कुछ बीजेपी ने किया, वह लोकतंत्र की हत्या किए जाने जैसा था। इसीलिए देश के साथ-साथ झारखंड की जनता परिवर्तन के मूड में है। सोरेन ने एक सवाल के जबाव में कहा कि किसी भी राज्य की राजधानी प्रदेश के लिए आईना होती है, लेकिन आप रांची की स्थिति देख सकते हो। उन्होंने कहा कि आज रांची में कोई भी दिन ऐसा नहीं गुजर रहा है कि जब लूट, हत्या, दुष्कर्म व छेड़खानी की घटनाएं नहीं घट रही हैं। यही वजह है कि प्रदेश की जनता बीजेपी से पूरी तरह तस्त्र है।
झामुमो ने निश्चय पत्र में जो अन्य घोषणाएं की हैं, उनमें पलामू, चाईबास व हजारीबाग को उप-राजधानी बनाना, किसानों की कर्जमाफी, खेतीहर मजूदरों को स्वरोजगार के लिए 15 हजार का अनुदान, महिलाओं को सरकारी नौकरी में 5० प्रतिशत आरक्षण, बेरोजगार युवकों के लिए बेरोजगारी भत्ता, सरकार के दो साल के अंदर पांच लाख युवाओं को नौकरी, पांच वर्षों तक उपयोग में नहीं लाए गए अधिग्रहित भूमि रैयतों को वापस करना, आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका एवं रपारा शिक्षकों के लिए सेवा शर्तों एवं वेतनमान का निर्धारण करना, पीएचडी तक लड़कियों को मुफत शिक्षा देना, पिछड़े वर्ग को नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण, गरीब सवर्ण छात्रों को मुफत शिक्षा व छात्रवृत्ति, सभी शहीदों के जन्म स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना, तीन साल तक के बच्चों वाली महिलाओं की न्यूनतम पुरूषों की मजदूरी से 15 प्रतिशत अधिक धनराशि देना, गरीबी रेखा से नीचे की महिलाओं को प्रतिमाह चूल्हा खर्च देने, झारखंड आंदोलनकारियों के लिए पेंशन योजना व शहीदों के आश्रितों के लिए कल्याण योजना, शहीदों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी में सीधी भर्ती के लिए कानून सहित कई अन्य घोषणाएं शामिल हैं। अभी ये सिर्फ घोषणाएं हैं, लेकिन इन घोषणाओं पर कितना अमल किया जाएगा, यह सत्ता में आने के बाद ही पता चलेगा। वैसे, झामुमो कांग्रेस सहित अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरी है। इसीलिए झामुमो अगर सत्ता में आ भी जाती है तो निश्चित ही इस चुनौती से इनकार नहीं किया जा सकता है कि उक्त घोषणाओं को लागू कर पाए। अगर, ऐसा होता भी है तो गठबंधन सरकार में तालमेल बहुत जरूरी होगा। इन स्थितियों में यह देखने वाली बात होगी कि गठबंधन में शामिल पार्टियों द्बारा जारी संयुक्त घोषणा-पत्र में शामिल कितने मुद्दे झामुमो के घोषणा-पत्र से मैच खाते हैं।
अगर, ऐसा होता है तो निश्चित ही झामुमो के लिए अपनी घोषणाएं लागू करना आसान हो जाएगा। अगर, गठबंधन का नेतृत्व हेमंत सोरेन कर रहे हैं तो वह निश्चित ही अपनी घोषणाओं पर बल देंगे। उधर, बीजेपी ने घोषणा-पत्र में शामिल मुद्दों को लेकर झामुमो का घेरा है, उससे भी आश्चर्य नहीं होता है, क्योंकि झामुमो और गठबंधन लगातार सरकार पर नाकामी का ठींकरा फोड़ रहे हैं और प्रदेश से बीजेपी सत्ता का उखाड़ फेंकने का दम भर रहे हैं। लिहाजा, बीजेपी ने भी झामुमो के घोषणा-पत्र को लेकर कटाक्ष करते हुए कहा है कि यह घोषणा-पत्र कांग्रेस के फलॉप आइडिया की नकल है।
इस संबंध में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष लक्षण गिलुवा ने कहा कि झामुमो के घोषणा-पत्र में मुंगेरी लाल के हसीन सपने दिखाए गए हैं। उन्होंने कहा कि 12वीं पास युवाओं को चार लाख रूपए तक का क्रेडिट कार्ड और महज 72 हजार रूपए की घोषणा को पूरा करने में ही राज्य के कुल बजट की आधी राशि खत्म हो जाएगी। इस प्रकार सभी योजनाओं का खर्च जोड़ लिया जाए, तो यह डेढ़-दो लाख करोड़ रूपए से अधिक हो जाएगा। हेमंत को बताना चाहिए कि ये पैसे कहां से आयेंगे ?
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