देवानंद सिंह
राजनीति में सियासी माइलेज का अपना खेल होता है, लेकिन यह सब की बस बात नहीं कि वह वेबजह माइलेज ले ले, इसके लिए या तो आपको राजनीति का चतुर खिलाड़ी होना चाहिए या फिर जनता में आपकी अच्छी खासी पैठ होनी चाहिए। ये दोनों ही चीज नहीं होने कि स्थिति में आपको बैकफुट पर आना पड़ेगा। ऐसी ही नूराकुश्ती स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता और झारखंड विकास मोर्चा के भाजपा में विलय के बाद घर वापसी कर चुके अभय सिंह के बीच चल रही है। गत दिनों, जिस तरह अभय सिंह ने जमशेदपुर पश्चिम में सियासी माइलेज उठाने के लिए किसी न किसी बहाने स्वास्थ्य मंत्री को घेरने की कोशिश की है, वह बन्ना गुप्ता की राजनीतिक चतुरता के आगे फेल हो गई है। इसीलिए अभय सिंह की जमशेदपुर पश्चिम में भी अपने पांव जमाने की कोशिश फीकी पड़ती नजर आ रही है क्योंकि वह सियासी चाल में यहां के विधायक और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से बार बार मात खा रहे हैं। अभय सिंह जमशेदपुर पश्चिम में इसीलिए अपने पैर जमाना चाहते हैं, क्योंकि उनके लिए पूर्वी की राह आसान नहीं थी, क्योंकि उनके सामने यहां के पुराने और स्थापित भाजपाई खासकर रघुवर दास गुट से मुकाबला करने की भी चुनौती है, क्योंकि ये भाजपाई उन्हें पूर्वी में बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। यह बात अभय सिंह भी भली भांति जानते हैं और उन्हें पता है कि रघुवर दास के रहते उन्हें पूर्वी से टिकट मिलना मुश्किल हो सकता है। अगर, मिल भी गया तो जीत मुश्किल हो सकती है, इसलिए उन्होंने जमशेदपुर पश्चिम की राह पकड़ी है, क्योंकि यहां भाजपा में टिकट के मजबूत दावेदार भी कम हैं और जीत के आसार भी ज्यादा हैं, लेकिन उनके सामने यहां स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के रूप में बड़ी चुनौती है, क्योंकि बन्ना गुप्ता की जनता के बीच अच्छी लोकप्रियता है। इसीलिए अभय सिंह को इतनी बड़ी चुनौती से पार पाना है तो कुछ तो करना ही पड़ेगा, इसलिए वह बन्ना गुप्ता को निशाने पर लेने के लिए
नित नए बहाने ढूंढते रहते हैं, लेकिन बन्ना गुप्ता भी राजनीति के चतुर खिलाड़ी हैं। पिछले एक महीने में वह सियासी अखाड़े में अभय की सियासी चालों को ध्वस्त कर चुके हैं। हम सबने देखा कि किस तरह पार्क, पूजा और प्रोटोकॉल के बहाने जमशेदपुर पश्चिम के सियासी अखाड़े में अभय-बन्ना की नूराकुश्ती देखने को मिली। जब दुर्गा पूजा में कोविड-19 को लेकर जारी दिशा निर्देशों का पालन कराने को लेकर प्रशासन ने पूजा समितियों पर थोड़ा दबाव बनाया तो मामले ने एकदम तूल पकड़ लिया। गत 13 अक्टूबर को महाअष्टमी के दिन पहले सिदगोड़ा सिनेमा मैदान दुर्गा पूजा समिति के संरक्षक चंद्रगुप्त सिंह ने आरोप लगाया कि सिटी एसपी सुभाष चंद्र जाट के नेतृत्व में आए पुलिस बल ने उनके पंडाल में रखे गमले तोड़ दिए और और कोविड गाइडलाइन के नाम पर पंडाल के प्रारूप के साथ भी छेड़छाड़ की। इस पर अभय सिंह आक्रामक मुद्रा में आ गए और उन्होंने पुलिस पर निजी दुश्मनी साधने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह इस मामले को मुख्यमंत्री तक लेकर जाएंगे, हालांकि कुछ घंटों के बाद वह बैकफुट पर आ गये और उन्होंने कहा कि सब कुछ सुलझ गया है।
भक्ति मेरा धर्म हैं तो लोगों की जान की हिफाजत करना मेरा राजधर्म: बन्ना गुप्ता
जब जब इंसानियत और धर्म की रक्षा की बात आएगी बन्ना गुप्ता सबसे पहले खड़ा होगा: बन्ना गुप्ता
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता जी पूरे नवरात्र में गौ माता की सेवा करते हुए उन्हें भोजन कराते थे, आज नवरात्रि के दिन भी उन्होंने गौमाता की सेवा की और उन्हें रोटी के साथ मिष्ठान भोजन कराया, गौ माता की सेवा के बाद उन्होंने कहा कि जमशेदपुर के कुछ पूजा पंडालों में प्रशासनिक हस्तक्षेप की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिया हूँ कि कोरोना प्रोटोकॉल के साथ लोगो की आस्था और धार्मिक अनुष्ठान विधि विधान के साथ संपन्न हो और श्रद्धालुओं की भावना आहत न हो इसका ख्याल भी रखा जाये।
उन्होंने याद करते हुए कहा कि कोरोना काल में जब सब अपने घरों में बंद थे तो यही प्रशासन और पुलिस अधिकारियों ने मोर्चा संभाला था और अपनी जान पर खेल कर जमशेदपुरवासियों की जान की रक्षा की थी, जिले के उपायुक्त और एसएसपी के नेतृत्व में कोविड काल में सराहनीय कार्य हुआ है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता हैं।उन्होंने बताया कि जब लोग मर रहे थे, बेड की कमी थी, ऑक्सीजन की कमी थी तो राज्य सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों ने आगे बढ़कर मानवता की रक्षा की थी, कई मृतकों का अंतिम संस्कार राज्य सरकार के अधिकारियों ने पूरे धार्मिक अनुष्ठान के साथ संपन्न कराया हैं जिसे भुलाया नहीं जा सकता।मंत्री बन्ना गुप्ता ने बताया कि शहर के कुछ पंडालों में जो विवाद हुआ हैं उसके लिए मैं क्षमा मांगता हूँ, अधिकारियों को विशेष हिदायत दी है कि धार्मिक भावनाओं का खयाल रखें और पूजा समितियों से भी अनुरोध है कि इसे समाप्त कर माँ की श्रद्धा और भक्ति में लीन होकर दशमी को विसर्जन के लिए तैयार हो।उन्होंने जमशेदपुर समेत पूरे राज्य की जनता को आश्वस्त कराते हुए कहा कि मैं विश्वास दिलाता हूँ कि जब भी इंसानियत और धर्म की रक्षा की बात होगी बन्ना गुप्ता सबसे पहले खड़ा रहेगा, सभी को जय माता दी।
इसी बीच काशीडीह में भोग वितरण की सूचना पाकर उपायुक्त सूरज कुमार खुद वहां पहुंच गए। दरअसल, प्रशासन और अभय सिंह के बीच नूरा कुश्ती की शुरुआत पूजा से पहले ही शुरू हो गयी थी, जब प्रोटोकॉल के नाम पर धार्मिक आस्था से खिलवाड़ का आरोप लगाते हुए अभय सिंह ने साफ कह दिया था कि पूजा समितियां भोग बनायेंगी भी और बाटेंगी भी,यह चीज प्रशासन को थोड़ी मुश्किल लग रही थी, इसीलिए प्रशासन ने बिना देर किए यहां पहुंचना शुरू किया। लिहाजा, जैसे ही, प्रशासन को सूचना मिली कि पूजा पंडाल के बगल स्थित मंदिर से भोग वितरण किया जा रहा है, तो उपायुक्त ने वहां पहुंचकर भोग वितरण रुकवा दिया। अभय सिंह ने वहां भी सियासी माइलेज देने के लिए उपायुक्त से बहस की। उन्होंने पंडाल जला देने और मस्जिद में अतिक्रमण होने जैसे भड़काऊ बातें कहकर मुद्दे उठाकर धार्मिक रंग देने की पूरी कोशिश की, लेकिन उपायुक्त ने बेहद गंभीर तरीके से वहां भोग वितरण भी रुकवा दिया और अभय सिंह को माइलेज लेने का कोई मौका भी नहीं मिला। दूसरी तरफ, कदमा रांकिनी मंदिर में भी बांटे जा रहे भोग को जब प्रशासन ने रुकवाया, तो अभय सिंह को फिर मौका मिल गया
सियासी माइलेज लेने का। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और जिला प्रशासन पर सिदगोड़ा, काशीडीह और कदमा में सरकार के इशारे पर हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया। लगे हाथों यह चेतावनी भी दे डाली कि जब तक जिला प्रशासन माफी नहीं मांगता, तब तक वह मूर्तियों का विसर्जन नहीं करेंगे, लेकिन जिस तरह बन्ना गुप्ता ने सूझबूझ का परिचय दिया, उसमें अभय सिंह का सियासी माइलेज लेने का सपना धराशाही हो गया। अभय सिंह ने कुछ दिन पहले जुबली पार्क खुलवाने के मामले पर नागरिक सुविधा मंच के जरिये भी बन्ना गुप्ता पर निशाना साधने की कोशिश की थी, लेकिन तब बन्ना गुप्ता ने नाटकीय अंदाज में जुबली पार्क का गेट खोल कर सिंह की चाल को विफल कर दिया था, ठीक उसी तरह से उन्होंने दुर्गा पूजा मामले पर भी किया। दरअसल, बन्ना गुप्ता ने 14 अक्टूबर को महानवमी की सुबह कन्या पूजन के बाद पत्रकारों के जरिये एक संदेश दिया कि समाज और आस्था से जुड़े विषयों पर जिला प्रशासन को थोड़ी समझदारी से काम लेना चाहिए। साथ ही, उन्होंने आपदा प्रबंधन मंत्री के नाते पूजा समितियों को हुई तकलीफ और परेशानी के लिए माफी भी मांगी। ऐसा करके बन्ना गुप्ता ने अभय सिंह के ऊपर ही दांव खेल दिया। अभय सिंह ने तो जिला प्रशासन से माफी मांगने की शर्त रखी थी, मगर बन्ना ने मंत्री के नाते माफी मांगकर एक तरह से सरकार ने ही माफी मांग ली, इसके बाद अभय सिंह के पास क्या बचता और किस बात पर बन्ना गुप्ता को घेरते। पर, आगे अभय सिंह और सियासी ड्रामा नहीं करेंगे, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। पर एक बार फिर उन्हें ध्यान रखना होगा कि वह ड्रामा ऐसा न हो कि फिर से उन्हें बैकफुट पर आना पड़े।