Wednesday 18 December 2019

संताल परगना का गढ़ बचाने की होड़

 देवानंद सिंह
 झारखंड विधानसभा चुनाव का पांचवा और आखिरी चरण काफी महत्वपूर्ण होने जा रहा है, क्योंकि इस चरण के चुनाव को कोई भी हल्के में नहीं लेना चाहता है। इसीलिए राजनीतिक पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झौंक दी है। इस चरण में संताल परगना का गढ़ बचाने में हर कोई जुटा हुआ है। यहां मुख्य लड़ाई बीजेपी और झामुमो के बीच है। पिछले चुनाव में यहां बीजेपी और झामुमो के बीच महज एक सीट का अंतर था, लेकिन इस बार दोनों तरफ से यह कोशिश है कि कैसे एक-दूसरे को पीछे धकेला जाए। इसीलिए जिस तरह से दोनों दलों ने अपनी ताकत यहां झौंकी है, उससे अपनी जीत को लेकर दोनों ही आश्वस्त दिख रहे हैं।

 संताल परगना को लेकर इसीलिए भी राजनीतिक पार्टियां गंभीर दिखाई दे रही हैं, क्योंकि कई मायनों में यहां के लोगों का फैसला राज्य के लिए निर्णायक बढ़त का आधार भी बनने वाला है, जो अब तक चार चरणों का चुनाव हुआ है, वह लड़ाई विधायकों और प्रत्याशियों की मेरिट पर ही लड़ी गई, लेकिन अंतिम चरण में जीत-हार के बहुत मायने हैं। यही एक इलाका है, जहां दोनों दलों को मतदाताओं से निर्णायक बढ़त मिलने के आसार हैं। यही कारण है कि कोई भी दल थोड़ी भी कोर-कसर नहीं छोड़ रहा है। बीजेपी और विपक्षी दल यहां एक भी सीट गंवाने का मतलब साफ तौर पर समझ रहे हैं और उनकी कोशिशें हैं कि अधिक से अधिक सीटों पर कब्जा हो। झारखंड के अलग राज्य बनने के बाद तीन बार हुए चुनावों में पहली बार का चुनाव भाजपा के लिए थोड़ा ठीक रहा और झामुमो के मुकाबले भाजपा को एक सीट अधिक मिली थी, लेकिन उसके बाद हुए हर चुनाव में झामुमो बीजेपी पर बढ़त बनाती आई है। इसीलिए झामुमो अपने प्रदर्शन को दोहराना चाहेगी और बीजेपी झामुमो को पीछे छोड़ना चाहेगी। 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 6 सीटें मिली थीं, जबकि झामुमो 5 सीटें हासिल कर दूसरे स्थान पर रहा था। वहीं, कांग्रेस को नुकसान झेलना पड़ा था, उसे महज 2 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था। राजद को महज 1 सीट मिली थी, झाविमो अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी, लेकिन 2 सीटें निर्दलीयों के खाते में गईं थीं। 2009 को विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए झटका देने वाला रहा। बीजेपी 6 सीटों से महज 2 सीटों पर आकर सिमट कर रह गई, जबकि झामुमो 9 सीटें जीतने में सफल रही है।

 यह दोनों ही पार्टियों के बीच हार-जीत का बड़ा अंतर था। कांग्रेस और राजद को महज 1-1 सीटें मिलीं। झाविमों भी शून्य से 2 सीटों पर पहुंचने में सफल रही थी, जबकि निर्दलीयों के खाते में महज 1 ही सीट आई। 2014 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के प्रदर्शन में सुधार हुआ और उसे 5 सीटें मिलीं, जबकि झामुमो 6 सीटों पर आकर सिमट गई। कांग्रेस 3 सीटें निकालने में सफल रही और राजद अपना खाता तक नहीं खोल पाई, वहीं झाविमो ने अपने 2009 के प्रदर्शन को दोहराया और 2 सीटें निकालने में सफल रहे, जबकि निर्दलीय कोई भी खाता नहीं खोल पाए।
 इसीलिए यहां के समीकरण हमेशा ही करवट लेने वाले रहे हैं। जहां मतदाता जल्द बदलाव की राह पकड़ लेते हैं, वहां निश्चित ही राजनीतिक पार्टियों को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। वहां का चुनाव राजनीतिक पार्टियों के लिए भी और जनता के लिए अहम हो जाता है। लिहाजा, इस चुनाव में जिस पार्टी को बढ़त मिलेगी, उसके बारे मेें राजनीतिक विशेषज्ञ भी बता रहे हैं कि राज्य में बढ़त का यह बड़ा आधार साबित हो सकता है। अंतिम लड़ाई ही निर्णायक होगी। इसीलिए इस सच्चाई को बीजेपी भी समझती है और झामुमो भी समझती है। लिहाजा, दोनों ही पार्टियों ने यहां कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है।
 दोनों दलों के शीर्ष नेता तमाम इलाकों में कैंप कर प्रत्याशियों का चुनाव प्रचार कर चुके हैं। सत्तापक्ष के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, झारखंड सीएम रघुवर दास, केंद्र के कई मंत्रियों से लेकर राज्य के मंत्री तक प्रचार कर चुके हैं तो विपक्ष के लिए शिबू सोरेन, हेमंत सोरेन, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, छत्तीसगढ़ के सीएम बघेल समेत दोनों पक्षों के स्टार प्रचारकों जमावड़ा संताल परगना क्षेत्र में अंतिम समय तक दिखाई दिया। यहां स्थानीय मुद्दों से लेकर राष्ट्रीय मुद्दों तक पर चर्चा हुई और नेताओं ने एक-दूसरे को घेरा भी। एक-दूसरे को घेरने में किसे कितनी सफलता मिली यह तो परिणाम ही बताएगा, लेकिन फिलहाल, संताल परगना की लड़ाई रोचक परिणाम देती दिख रही है।
 झारखंड मुक्ति मोर्चा लगातार उन सीटों पर फोकस कर रही है, जहां उसे संभावना नजर आ रही है और इस कवायद को वह गंभीरता के साथ अंजाम दे रही है। मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन सत्ताधारी नेताओं के वादों के पूरा न होने को आधार बनाकर आम लोगों तक संदेश पहुंचा रहे हैं और आम लोगों के बीच लगातार पकड़ बनाए हुए हैं। वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी पिछले लोकसभा चुनाव को दोहराने के संकल्प के साथ यहां चुनाव मैदान में है। पार्टी युवाओं और महिलाओं को अपने तरफ खींचने की पूरी कवायद में जुटी हुई है। मुख्यमंत्री रघुवर दास इलाके में कैंप किए हुए हैं और उन्होंने राज्य और केंद्र की तमाम योजनाओं को आधार बनाकर महिलाओं और युवाओं के बीच अपनी पैठ बनाने में पूरा जोर लगाया हुआ है। जिन सीटों पर चुनाव हो चुका है, वहां के विधायक भी संताल परगना में पहुंचे हुए हैं और उन्हें छोटी-छोटी टुकड़ियों में छोटे-छोटे इलाके आवंटित किए गए हैं, जो पार्टी व प्रचार की हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए हैं। वहीं, कांग्रेस, राजद और झाविमो भी यहां कुछ कमाल करने को लेकर अपनी ताकत झौंके हुए हैं, लेकिन मुख्य लड़ाई बीजेपी और झामिमो के बीच ही दिखाई दे रही है। यह बात देखने वाली होगी कि यहां की करवट लेने वाली जनता को कौन अपने पाले में खींचने में सफल रह पाता है।

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