*संघ, सत्ता और संगठन को एक मंच पर आने की जरूरत*
"लुटे सियासत की मंडी में और झूठी रुसवाई में ,
जाने कितना वक़्त लगेगा रिश्तों की तुरपाई में...!"
देवानंद सिंह
याद कीजिए 2014 सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपने भाषण में यह संकेत दिया था कि भाजपा की सरकार बस्ती वासियों गरीबों किसानों और मेहनतकश मजदूरों पर टिका होगा लेकिन सत्ता चलाते वक्त उनमें कॉरपोरेट की कारपेट ,बस्ती वासियों की आवाज दबाने की कोशिश ,कारपोरेट घराने की मनमानी पर खामोशी ,बहुसंख्यक जनता को मुश्किल में डालने वाले निर्णय निकले दूसरी तरफ झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर अजय कुमार हर बार हर मुद्दे पर सरकार को घेरने का प्रयास किया है आसान शब्दों में कहें तो सरकार गरीबों की हितेषी विपक्ष की नजर में नहीं है विपक्ष में यह बदलाव विपक्षी सोच से नहीं बल्कि रघुवर दौर में राज्य के ़ बिगड़ते हालातों के बीच जनता के सवालों से निकलता है सबसे बड़ा सवाल आने वाले वक्त में यही है क्या राज्य स्तरीय नीतियां वोट बैंक की परखे या वोट बैंक की व्यापकता राज्य स्तरीय नीतियों के दायरे में आ जाएगी क्योंकि संकट राज्य में चौतरफा है जिसके दायरे में बस्ती वासियों के साथ साथ किसान मजदूर दलित महिलाएं युवा सभी हैं सवाल सिर्फ संवैधानिक संस्थाओं को बचाने भर का नहीं है बल्कि राजनीतिक व्यवस्था को भी संभालने का है जो कारपोरेट की पूंजी तले मुश्किल में पड़े हर तबके को वोटर मानती है
जमशेदपुर में बस्ती वासियों की बात करें तो विगत 4 वर्षों में जो हालात पैदा हुए हैं उससे कुछ फायदा भी हुआ है और कुछ नुकसान भी हुआ है विपक्ष नुकसान को मुद्दा बना रहा है जबकि सरकार बे घरों को घर देकर अपनी पीठ थपथपा ने का असफल प्रयास कर रही है मुख्यमंत्री रघुवर दास बस्ती वासियों की राजनीत करते करते मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंचे हैं बस्ती वासियों से उनका लगाव जग जाहिर है संघ संगठन इतर मुख्यमंत्री रघुवर दास का बस्ती विकास समिति 90 के दशक में सशक्त रूप से उभरा था जो अब दरकता दिखाई देने लगा है विपक्ष अब उन्हीं मुद्दे को लेकर उन्हें घेरने का प्रयास कर रही है हालांकि भाजपा की पूर्वी सिंहभूम जिला कमेटी विपक्ष के हल्ला बोल का करारा जवाब देने में अब तक कुछ हद तक सफल रही है
मुख्यमंत्री रघुवर दास के गृह क्षेत्र जमशेदपुर की सड़कें एक बार फिर बस्ती वासियों के नारों से गूंज रही है बस्ती वासियों को विपक्ष अपने साथ लेकर बार बार सड़क पर उतर रही है कवि मुख पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी तो कभी डॉक्टर अजय कुमार तो कभी झामुमो के बैनर तले कुछ तो बात है विपक्ष मुद्दा बनाने के प्रयास में है और मुख्यमंत्री को पूरे राज्य के विकास को देखना है विपक्ष को मात देने के लिए मुख्यमंत्री के पास जो विकल्प हैं पहला भाजपा संगठन दूसरा आर एस एस और तीसरा बस्ती विकास समिति पूरे प्रकरण की गहराई से पड़ताल करें तो बस्ती विकास समिति इस मुद्दे पर भी विफल नजर आ रही है जबकि संघ के लोग मुख्यमंत्री से अंदर ही अंदर खुन्नस खाए हैं सिर्फ जिला भाजपा अध्यक्ष दिनेश कुमार विपक्ष को जवाब देने का भरसक प्रयास संगठन के माध्यम से कर रहे हैं
ऐसा नहीं है कि मुख्यमंत्री विकास को गति देने में विफल रहे हैं कार्यकर्ताओं को तरजीह नहीं देते हैं लेकिन उन्हें अपने तरीके को बदलने की जरूरत है और जो जमशेदपुर में फिजा बन रही है वह किसी भी परिपेक्ष में सही नहीं है सवालों से घिरा सफर का जो अवधारणा बन रहा है उसको सत्ता संगठन और संघ के प्रयास से ही दूर किया जा सकता है
Tuesday, 4 December 2018
संघ सत्ता और संगठन को एक मंच पर आने की जरूरत
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