*विकास को गति देने के लिए सरकार को हठ छोड़ने की जरूरत*
दिल्ली की नजरे उन पांच राज्यो के चुनाव पर है जिसका जनादेश 2019 की सियासत को पलटाने के संकेत भी दे सकता है और कोई विकल्प है नहीं तो खामोशी से मौजूदा सत्ता को ही अपनाये रह सकता है । वाकई सियासी गलियारो की सांसे गर्म है घडकने बढी हुई है । एेसे समय में पारा शिक्षकों की हड़ताल झारखंड सरकार की गले की फांस बनती जा रही है
क्योकि जीत हार इस वार बहुत हद तक पारा शिक्षकों के परिवार वोटर को तय करनी है जिसकी पहचान शिक्षा के विकास पुरुष के तौर पर है ग्रामीण क्षेत्रों के शिक्षा का भार इनके कंधे पर है और इनकी सोच बहुत स्पष्ट है
बीजेपी नहीं तो काग्रेस या फिर रधुवर नहीं तो हेमंत सोरेन ।
गजब की सियासी बिसात झारखंड के सामने आ खडी हुई है
Monday, 3 December 2018
पारा शिक्षकों के मामले में सरकार
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कोल्हान की सियासी चुनौती
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