Tuesday 12 November 2019

दांव पर कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा



बिशन पपोला
झारखंड में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है। पांच चरणों में सूबे में चुनाव होने हैं। 81 विधानसभा सीटों के लिए मतदान की शुरूआत इसी माह 3० नवंबर से हो जाएगी, जबकि 23 दिसंबर को मतगणना हो जाएगी। अगर, मतदान की अन्य तिथियों की बात करें तो इनमें दूसरे चरण का चुनाव 7 दिसंबर, तीसरे चरण का चुनाव 12 दिसंबर, चौथ्ो चरण का चुनाव 16 दिसंबर व पांचवे चरण का चुनाव 2० दिसंबर को संपन्न होगा।

जैसी ही चुनाव आयोग की तरफ से सूबे में चुनावी जंग का ऐलान हुआ,वैसे ही राजनीतिक पार्टियों के बीच भी सरगर्मी तेज हो गई। सूबे में मौजूदा समीकरण की बात करें तो बीजेपी के पास 37, कांगेेस के पास 6, जेएमएम के पास 19, एजेएसयू के पास 5 व अन्य के पास 14 विधानसभा सीटें हैं।सत्तारूढ़ बीजेपी ने इस बार राज्य में 65 से अधिक सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य रखा है। वहीं, अन्य पार्टियां भी अपने-अपने समीकरणों की समीक्षा करने में जुटी हुई हैं और उनका भी टारगेट पिछले प्रदर्शन से अच्छा प्रदर्शन करने की है, हालांकि 23 दिसंबर को वास्तविक आकड़े इसको स्पष्ट कर देंगे।

वैसे तो राज्य में पांच चरणों में होने वाला चुनाव कई मायनों में बहुत अधिक महत्वपूर्ण है। खासकर, सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी, क्योंकि राज्य का लगभग 67 फीसदी क्ष्ोत्र नक्सलवाद से प्रभावित है। राज्य में 13 जिले तो ऐसे हैं, जो नक्सलवाद के संबंध में अतिसंवेदनशील हैं, लेकिन दूसरे चरण का चुनाव एक अलग ही परिपेक्ष्य में महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि इस चरण में कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है, जिसमें राज्य में पहली बार पांच साल तक मुख्यमंत्री का पद संभालने वाले रघुवर दास से लेकर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा तक शामिल हैं। इस चरण में 2० विधानसभा सीटों में 13 सीटें कोल्हान की होने की वजह से हार जीत का फैसला सीध्ो तौर पर इन दोनों दिग्गजों की प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।


मुख्यमंत्री रघुवर दास स्वयं जमश्ोदपुर पूर्व से उम्मीदवार हैं। वहीं, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा खूंटी से सांसद हैं। इसीलिए इस क्ष्ोत्र से अपने पार्टी के प्रत्याशियों को जिताने का दारोमदार तो उनके ऊपर है ही, इसके अलावा खरसावां में भी उनके पास यही जिम्मेदारी होगी, क्योंकि वह यहां से कई बार पार्टी का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। एक और अतिमहत्वपूर्ण सीट की बात करें तो उसमें चक्रधरपुर भी शामिल होगा। इस सीट पर मुकाबला इसीलिए भी रोमांचक होगा, क्योंकि इस सीट पर स्वयं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा चुनावी मैदान में होंगे।

तीन मंत्रियों सरयू राय, नीलकंठ सिंह मुंडा, रामचंद्र साहिस, स्पीकर दिनेश उरांव की अगली पारी का फैसला भी दूसरे चरण में ही होना है। सरयू राय, नीलकंठ सिंह मुंडा और दिनेश उरांव की सीटों क्रमश: जमश्ोदपुर, पश्चिम, खूंटी और सिसई से भाजपा ने अभी तक अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है। इस वजह इन तीनों दिग्गजों की भी सांस अटकी पड़ी है।

वहीं, जनसंसाधन मंत्री रामचंद्र सहिस का जुगसलाई से आजसू से प्रत्याशी होना तय माना जा रहा है। इसके अतिरिक्त पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की भी प्रतिष्ठा दांव पर है। यहां बता दें कि जगन्नाथपुर और मझगांव कोड़ा के प्रभाव वाली सीट मानी जाती हैं। उनकी पत्नी गीता कोड़ा अभी सिंहभूम से कांग्रेस सांसद हैं, इसीलिए जगन्नाथपुर और मझगांव सीटों से विपक्षी उम्मीदवारों को जीत दिलाना कोड़ा दंपति के वजूद का सवाल निश्चित ही बन गया है।

उधर, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप बलमुचू की घाटशिला सीट गठबंधन के तहत झामुमो के खाते में चली गई है। इससे नाराज बलमुचू ने बगावत का ऐलान कर दिया है। बलमुचू झाविमो या आजसू से टिकट की आस में हैं। किसी भी पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिनेशचंद गोस्वामी की बहरागोड़ा सीट से टिकट कट गया है। यहां भाजपा ने झामुमो से आए विधायक कुणाल षाडंगी को उतारा है। कुणाल षाडंगी के पिता दिनेश षाडंगी भी यहां से भाजपा विधायक थ्ो। इसके अलावा इसी दूसरे चरण में झारखंड में मंत्री रहे सात नेताओं की किस्मत का भी फैसला होना है। पूर्व मंत्री चंपई सोरेन सरायकेला से झामुमो विधायक हैं।

वहीं, जेल में बंद पूर्व मंत्री राजा पीटर तमाड़ से विधायक रहे हैं। उनके जेल से ही चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं। शिक्षा मंत्री रहीं गीताश्री उरांव ने सिखई से, कृषि मंत्री रहे बन्ना गुप्ता जमश्ोदपुर पश्चिम से, पूर्व शिक्षा मंत्री बंघु तिर्की मांडर से, विधि मंत्री रहे देवकुमार घान मांडर से और पूर्व मंत्री दुलाल भुईया के भी जलसलाई से चुनाव लड़ने की पूरी संभावना है।

जुगसलाई, मांडर, जमश्ोदपुर-ईस्ट, जमश्ोदपुर पश्चिम, तमाड़ व कोलेबिरा ऐसी सीटें हैं, जहां के परिणाम ऑल ओवर रिजल्ट को बहुत हद तक प्रभावित करेंगी, इसीलिए सतारूढ़ बीजेपी समेत अन्य पार्टियों के लिए ये सीटें खास मायने रखती हैं। लिहाजा, प्रदेश के प्रभावशाली राजनेताओं के लिए यहां से सीट निकालना नाक का सवाल भी होगा।

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