देवानंद सिंह
आज राजनीति के मायने भले ही बदल गए हों और पक्ष विपक्ष के नेता एक दूसरे को फूटी आंख न सुहाते हों, लेकिन हमारे देश में कुछ नेता ऐसे भी हैं, जो अपनी व्यवहार कुशलता और राजनीतिक नैतिकता को बनाए हुए हैं। ऐसा ही, वाक्या गत दिनों झारखंड की राजधानी में देखने को मिला। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जिस तरह पूर्व नगर विकास मंत्री और भाजपा विधायक सीपी सिंह को हरमू में बने नव निर्मित पार्क के उद्घाटन कार्यक्रम में खुद कार ड्राइव लेकर गए, वह अपने आप में राजनीतिक द्वेष रखने वालों के लिए बहुत बड़ी सीख है। सीपी सिंह इसीलिए नाराज थे, क्योंकि उन्हें पार्क के उद्घाटन कार्यक्रम का आमंत्रण नहीं मिला था, जिसकी पीड़ा उन्होंने नागाबाबा खटाल में बने वेजिटेबल मार्केट के उद्घाटन अवसर पर व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जब वह नगर विकास मंत्री थे, तो उन्होंने पटेल पार्क के लिए धनराशि मंजूर की थी। उस वक्त वहां निजी विद्यालय बनाने की तैयारी थी। आज पार्क भी बन गया है, लेकिन दुर्भाग्य देखो कि उन्हें उद्घाटन कार्यक्रम का आमंत्रण नहीं मिला।
वेजिटेबल मार्केट के उद्घाटन के बाद जब वह मंच से नीचे उतर रहे थे तो स्वयं मुख्यमंत्री उनके पास गए और उन्होंने सीपी सिंह को कार्यक्रम में चलने को कहा। इतना ही नहीं, वह उन्हें अपनी कार में बैठाकर कार ड्राइव कर कार्यक्रम स्थल पर ले गए। शायद ही ऐसा कभी देखने को मिला हो कि किसी राज्य का मुख्यमंत्री स्वयं विरोधी दल के नेता को इतनी शालीनता से और आदर से अपने साथ कार्यक्रम स्थल पर ले गया हो। यह झारखंड के लिए भी बहुत बड़ी बात है और देश के उन सभी नेताओं के लिए भी एक सीख, जो राजनीतिक प्रतिद्वंदिता में राजनीतिक सुचिता को भूल जाते हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ही नहीं स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता भी इसी सुचिता और आदर्श के साथ राजनीति करते हैं। पिछले दिनों दुर्गा पूजा के दौरान जब उपायुक्त पूर्वी सिंहभूम सूरज कुमार की कुछ बातों को लेकर भाजपा नेता अभय सिंह नाराज हुए तो स्वयं स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी थी। यह एक आदर्श नेता और आदर्श सरकार का परिचायक है। ऐसा आज के समय में कहां देखने के मिलता है। जब किसी नेता को कुर्सी मिल जाती है तो वह घमंड में चूर हो जाता है। इतना घमंड हो जाता है कि उसकी डायरी से माफी नाम का शब्द ही हट जाता है। पर झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री घमंड की राजनीति को छोड़कर जिस तरह विरोधियों को भी साथ लेकर चलने की सुचिता पेश कर रहे हैं, वह एक बहुत सुंदर उदाहरण है। वह राजनेताओं को इस बात के लिए भी प्रेरित करता है कि भले ही, हमारी वैचारिक लड़ाई हो, लेकिन हमें उसे द्वेष में नहीं बदलना चाहिए बल्कि सत्ता पक्ष विपक्ष से सीखे और विपक्ष सत्ता पक्ष से सीखे, तभी समाज के सामने आदर्श राजनीति का उदाहरण पेश किया जा सकता है, जिसे झारखंड सरकार पूरा कर रही है।
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