Saturday 8 June 2024

स्मृति ईरानी को ले डूबा अहंकार और बड़बोलापन

किशोरी मैजिक के आगे हो गईं धराशायी

धीरज कुमार सिंह 


चुनाव परिणामों के बाद एनडीए बहुमत में है और सरकार बनाने की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। भाजपा को अकेले दम पर बहुमत नहीं मिलने पर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं, कुछ मंत्रियों के हारने पर तो जैसे लोग जश्न मना रहे हैं, इनमें सबसे पहला नाम है केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का। उनका घमंड जिस आसमान पर था, वह उसी गति के साथ नीचे भी गिर गया। कांग्रेस के किशोरी मैजिक के आगे उनकी तिकड़में बिल्कुल भी काम नहीं आयी। कांग्रेस प्रत्याशी किशोरलाल ने अमेठी लोकसभा सीट से  भाजपा उम्मीदवार स्मृति से 1 लाख 18 हजार से ज्यादा वोटों से हराया। 




इस तरह कांग्रेस ने अपने गढ़ अमेठी पर फिर से लगभग कब्जा कर लिया है। एक समय यही अमेठी कांग्रेस का औसत कहा जाता था, लेकिन 2019 में बदलाव आया। उस सीट से स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हराकर जीत हासिल की, लेकिन पांच साल बाद किशोरी लाल शर्मा ने  स्मृति ईरानी को हराकर सियासी तस्वीर ही बदल दी है। 

चुनाव जीतने के एक साल बाद फिर से अमेठी में हवा बदलने लगी। इस बार दरअसल स्मृति ईरानी ने स्थानीय जनता को अपनी हरकतों से काफी नाराज कर लिया था। दूसरी तरफ किशोरी लाल लगातार जनता से जुड़कर काम करते रहे।


स्मृति के हारने पर सोशल मीडिया पर उन्हें काफी ट्रोल किया जा रहा है, लोग तरह-तरह के कमेंट कर रहे हैं। लोग कह रहे हैं आप एक्टर ही ठीक थी, आपको राजनीति में नहीं आना चाहिए था। 

एक यूजर ने लिखा, "आपके ईगो और घमंड के कारण आप चुनाव हारी हैं।" यूजर ने आगे लिखा, आप अपनी हार के लिए अमेठी के लोगों को दोष क्यों दे रही हैं। यह आपका सरासर घमंड था, जिसकी कीमत आपको अमेठी में चुकानी पड़ी। जीवन के लिए सबक - लोगों को कभी कम मत समझो और राहुल गांधी से कभी खिलवाड़ मत करो।" वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा, "आप तुलसी ही ठीक थी, क्या जरूरत थी नेता बनने की।" ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर मोहम्मद जुबैर ने भी स्मृति ईरानी को नहीं बख्शा है। जुबैर ने कमेंट में लिखा, "आपने अपना ज्यादातर समय लोकल रिपोर्टर और स्ट्रिंगर्स को धमकाने में बिताया है।"

मोहम्मद जुबैर ने ट्विटर पर लिखा, "मोदी अब शिक्षा, विश्वविद्यालय, गरीबी, अर्थव्यवस्था, डिजिटल इंडिया, प्रौद्योगिकी आदि के बारे में बोल रहे हैं। चुनावी रैलियों के दौरान वह मुसलमान, मंगलसूत्र, मुजरा, मटन, मुगल, मछली, मुस्लिम लीग, घुसपेटिया, जियादा बच्चे, लव जिहाद, वोट जिहाद, जमात… में व्यस्त थे।" इसे शेयर करते हुए प्रकाश राज ने लिखा, "आदतें बड़ी मुश्किल से मरती हैं.. कट्टरवादी हमेशा कट्टर होता है।"

  उधर, यूजर्स के कमेंट पर स्मृति ईरानी ने इंस्टाग्राम और ट्विटर पर लिखा,"ऐसा ही जीवन है… मेरे जीवन का एक दशक एक गांव से दूसरे गांव तक जाने, जीवन बनाने, आशा और आकांक्षाओं का पोषण करने, बुनियादी ढांचे पर काम करने - सड़कें, नाली, खड़ंजा, बाईपास, मेडिकल कॉलेज और बहुत कुछ बनाने में गया। जो लोग मेरे साथ हार और जीत में खड़े रहे, मैं हमेशा उनकी शुक्रगुजार रहूंगी। जो आज जश्न मना रहे हैं उन्हें बधाई। और जो पूछ रहे हैं, "हाउज द जोश? मैं अब भी कहूंगी- अब भी हाई सर।"


गांधी परिवार का अमेठी से बहुत पुराना रिश्ता


गांधी परिवार का अमेठी से रिश्ता बहुत पुराना है। 1977 में राजीव गांधी के भाई संजय पूर्वी उत्तर प्रदेश की इस सीट से उम्मीदवार बने। तब दिल्ली के मसनद में इंदिरा गांधी की सरकार थी। लेकिन उसका गद्दा डोल रहा था। देशभर में इंदिरा विरोधी हवा चलने लगी। संजय गांधी इसे झेल नहीं पाये, लेकिन तीन साल बाद 1980 के लोकसभा चुनाव में संजय अमेठी से सांसद बन गए। विमान दुर्घटना में संजय की असामयिक मृत्यु के बाद 1981 में अमेठी में उपचुनाव हुआ। राजीव वह चुनाव जीत गए। 1991 के लोकसभा चुनाव के दौरान लिट्टे बम विस्फोट में राजीव की मृत्यु के बाद, कांग्रेस ने राजीव के करीबी सहयोगी सतीश शर्मा को अमेठी से मैदान में उतारा। वह भी जीते।

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