Wednesday 26 December 2018

पारा शिक्षकों की हड़ताल: सियासत ठीक नहीं?

पारा शिक्षकों की हड़ताल: सियायत ठीक नहीं ?
देवानंद सिंह
झारखंड आज विकास के पथ पर अग्रसर है। सीएम रघुवर दास अपना चार का साल का कार्यकाल भी पूरा करने जा रहे हैं। इस दौरान बहुत से क्षेत्रों में हुए विकास की लोग तारीफ भी कर रहे हैं, जिसके लिए सीएम बधाई के पात्र भी हैं, लेकिन इन सबके बीच कुछ मुद्दों विशेषकर पारा शिक्षकों के मामले को देखा जाए तो सीएम की चुप्पी निश्चित ही चौंकाती है। पारा शिक्षकों के विरोध से जिस प्रकार से प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था चरमरा रही है, उसमें सीएम को आगे आना चाहिए। शुरूआती दो दिन का विधानसभा का शीतकालीन सत्र जिस प्रकार पारा शिक्षकों के मुद्दे के चलते हंगामे की भेंट चढ़ गया है, उससे जाहिर होता है कि आने वाले दिनों में भी इसकी चिंगारी का असर देखने को मिलेगा। शीतकालीन सत्र के भले ही दो दिन हंगामे की भेंट चढ़े हों, लेकिन जिस प्रकार पारा शिक्षक अन्य राज्यों छत्तीसगढ़, बिहार आदि राज्यों की भांति स्कूल विलय, वेतनमान, स्थाई करने आदि की मांग को लेकर पिछले डेढ़ माह से हड़ताल पर हैं, उससे प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। विपक्ष इस मामले पर पूरा हंगामा किए हुए है और सरकार की तरफ से कोई संतोषजनक सुझाव नहीं आ रहा है। चूंकि शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार इस मामले पर सरकार वार्ता के लिए तैयार है, लेकिन पारा शिक्षक विधिवत् बातचीत पर विश्वास रखते हैं। उनका कहना है कि जब तक सरकार की तरफ से विधिवत् बातचीत का ऑफर नहीं मिलता है, तब तक वे विरोध से पीछे नहीं हटेंगे, लेकिन इस मामले में सीएम रघुवर दास ने अभी तक चुप्पी साधी हुई है। इससे जाहिर होता है कि सरकार इस मुद्दे पर झुकने को बहुत ज्यादा तैयार नहीं है। इन स्थितियों के बीच भले ही सत्तारूढ़ और विपक्षी पार्टी अपनी सियासत चमकाने में लगी हुईं हों, लेकिन इसमें सबसे ज्यादा नुकसान राज्य के मासूम बच्चों का हो रहा है, क्योंकि सियासत और पारा शिक्षकों की हड़ताल के बीच शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी है। विपक्ष पूरी कोशिश कर रहा है कि इस मुद्दे को कैसे भुनाया जाए, जिससे इसका लाभ आने वाले चुनावों में लिया जा सके। पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन  और  विधायक कुणाल सारंगी  पूरे मामले को  गंभीरता से ले रहे हैं वह इस मुद्दे पर  बाहर चाहते हैं ।इस मुद्दे पर जहां सरकार और विपक्ष को आपसी तालमेल के साथ हल तलाशना चाहिए, वहीं पारा शिक्षकों को भी बच्चों के भविष्य के बारे में निश्चित ही सोचना चाहिए, तभी प्रदेश सर्वांगीण विकास की सीढ़ी चढ़ पाएगा।

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