शर्मनाक, दुखद… गणतंत्र दिवस भी था, लालकिले का प्राचीर भी था, पर उसने तिरंगे से क्या सलूक किया
तुम किसान हो नहीं सकते तुमने लाल किले के प्राचीर का अपमान किया है आज पूरे विश्व में भारत की शौर्य नहीं हिंसा देखी है जिस तरह तिरंगे का अपमान हुआ है वह माफी के लायक नहीं क्या राहुल गांधी ,प्रियंका गांधी ,योगेंद्र यादव और टिकैत यह बता सकते हैं कि तिरंगे का अपमान करने का अधिकार किसने दिया था किसानों के भेष में इन दंगाइयों को यह किसान नहीं भीड़ तंत्र के भेष में दंगाई थे सभी राजनीतिक दलों ने घटना की निंदा की है और कांग्रेस के युवराज ने अपने तरीके से इसकी निंदा की है तो फिर ये हुआ कैसे
इस उपद्रव में 83 पुलिसकर्मी घायल हुए डीसीपी पर ट्रैक्टर चढ़ाने की कोशिश की गई इसके जिम्मेदार कौन किसानों ने पूरे दिल्ली में बवाल काटा दंगों का मंजर देखकर रूह कांप रही थी आज की घटना को देखने के बाद यह महसूस होने लगा है कि यह किसान आंदोलन नहीं शाहीन बाग टू की तैयारी थी किसानों की मांगें हैं, आक्रोश है तो क्या शहर को मलबे में तब्दील करने की इजाजत दे दी जाए। ट्रैक्टर रैली के नाम पर कुछ भी तबाह करने पर मौन रहा जाए। प्रदर्शन उपद्रव में बदल रहा है, किसान जवानों को कुचल रहा है। तिरंगे झंडे को आसमान तक बुलंद करने वाली लाठी खाकीवालों को मारते-मारते तोड़ी जा रही है।
किसानों ने ट्रैक्टर मार्च के नाम पर आज जो किया वो तस्वीरें सबके सामने हैं। किसानों ने पहले ऐलान किया था कि वो तिरंगे के सम्मान में ये रैली करेंगे और इससे गणतंत्र दिवस की शोभा में कोई कमी नहीं आएगी बल्कि इस बार का नजारा और भव्य होगा मगर जो कुछ भी हुआ वो निंदनीय है। किसानों ने पूरी दिल्ली में हड़कंप मचा दिया। आईटीओ से लगाकर लाल किले तक किसानों ने खूब उपद्रव किया।
सोशल मीडिया पर वायरल
सोशल मीडिया में ऐसे कई वीडियो वायरल हो रहे हैं जिससे न चाहते हुए भी इस आंदोलन पर सवाल उठाए जा रहे हैं। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें उपद्रवी किसान लालकिले की प्राचीर पर लहराते झंडे की जगह सिख पंथ का झंडा लगाता हुआ नजर आ रहा है। इतना ही नहीं वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि ऊपर पोल पर चढ़ रहे शख्स को नीचे से एक आदमी तिरंगा पकड़वाता है मगर वो प्रदर्शनकारी उस तिरंगे को भीड़ के ऊपर फेंक देता है। इसके बाद वो पंथ का झंडा पोल पर लहरा देता है।
तिरंगे का अपमान क्यों?
जिस तरह इस तिरंग को इस शख्स फेंक रहा है उससे तो अब सवाल उठता है कि क्या लाखों झंडे जो ये किसान लेकर ट्रैक्टर रैली में शरीक हो रहे थे वो क्या था। इस तरह तिरंगे का अपमान क्यों किया गया? सवाल यहां ये भी उठता है कि क्या कोई भी धर्म, संप्रदाय या किसी भी पंथ का झंडा तिरंगे से ऊपर हो सकता है क्या?
ट्रैक्टर मार्च के नाम पर बवाल
हर साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रध्वज फहराते हैं। इस ऐतिहासिक इमारत की उसी प्राचीर पर गणतंत्र दिवस के दिन कोई और झंडा फहर रहा था। वजह यह थी कि कुछ प्रदर्शनकारी किसान सरकार को संदेश देना चाहते थे। ट्रैक्टर रैली में पर्याप्त हुड़दंग मचाने के बाद जब किसानों का जत्था लाल किले पहुंचा तो मानों यहां बवाल चरम पर पहुंच गया। कुछ उपद्रवी लाल किले की प्राचीर पर चढ़ गए। ठीक उसी जगह अपना झंडा फहरा दिया जहां हर साल तिरंगा फहराया जाता है। ये वही जगह है जहां खड़े होकर हर साल प्रधानमंत्री राष्ट्र के नाम संदेश देते हैं। संदेश तो आज भी दिया गया है, मगर यह संदेश किसी लिहाज से ठीक नहीं है। इस ऐतिहासिक स्मारक के कुछ गुंबदों पर भी झंडे लगा दिए।
देर रात किसानों ने आरटीओ पर धरना देते हुए रास्ते को जाम किया है मीडिया कर्मियों पर हमला भी जारी है पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच थोड़ी थोड़ी देर में झड़प जारी है
बहरहाल ट्रैक्टर रैली के दौरान पुलिस पर हमला करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की तैयारी चल रही है हरियाणा और पंजाब में हाई अलर्ट किया गया है देश के असली किसानों का राकेश टिकैट पर विश्वास भी डगमगाया है
सवाल आंदोलन पर भी उठने लगे हैं और कांग्रेस की राजनीति पर भी देखना है कि कांग्रेस किस तरह इस भंवर जाल से निकल पाती है किसान संगठन इसे साजिश बता रहे हैं घुसपैठ बोल रहे हैं तो आपने विगत 2 महीने में क्या किया
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