देवानंद सिंह
झारखंड के जमशेदपुर में कभी अखिलेश सिंह गिरोह का सदस्य रहा और वर्तमान में अपना गैंग चला रहे बक्सर के गैंगस्टर सुधीर दूबे को आखिरकार दबोच ही लिया गया। उसे पंजाब मेंं गिरफ्तार किया गया। झारखंड और पंजाब पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में संगरूर के एक होटल से उसे दबोचा गया। सुधीर दूबे पर हत्या, रंगदारी, आर्म्स एक्ट के तहत कई मामले दर्ज हैं। उसको आजीवन कारावास की सजा भी सुनाई गई है, हालांकि बाद में उसे जमानत मिल गई थी। उसकी गिरफ्तारी से पहले झारखंड पुलिस को उसके पंजाब के संगरूर स्थित एक होटल में ठहरने की जानकारी मिली थी। इसके बाद पंजाब पुलिस के सहयोग से गत सप्ताह गुरुवार रात करीब एक बजे होटल की घेराबंदी कर उसे दबोच लिया गया। उसकी गिरफ्तारी तब हुई, जब वह खाना खाने के बाद होटल में आराम कर रहा था। उसकी गिरफ्तारी के बाद झारखंड पुलिस ने राहत की सांस ली है, क्योंकि उसके पकड़े जाने से गैंगवार थमने के आसार नजर आने लगे हैं।
अप्रैल 2020 में हुई मुठभेड़ के बाद से था फरार
29 अप्रैल 2020 को अखिलेश गिरोह के साथ हुई मुठभेड़ के बाद से गैंगस्टर सुधीर फरार चल रहा था। दरअसल, मामला कुछ यूं था कि 29 अप्रैल 2020 को जमशेदपुर के सीतारामडेरा स्थित नीति बाग कॉलोनी गेट पर अखिलेश गिरोह के करीब 40 से अधिक अपराधी सुधीर दूबे के भाई पर हमला करने पहुंचे थे। इस पर सुधीर दूबे गैंग ने भी जवाबी कार्रवाई की थी। दोनों से तरफ से हुई गोलीबारी में अखिलेश सिंह गिरोह के शार्प शूटर कन्हैया सिंह, सचिन, विक्रम, सोमनाथ, अंशु चौहान, राजकुमार और सोनू घायल हो गए थे। बताया जाता है कि सुधीर दूबे गैंग ने कार्बाइन से हमला किया था। इस मामले में 13 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था। उनमें से कुछ को गिरफ्तार कर लिया गया और कुछ ने आत्मसमर्पण किया था। उस मुठभेड़ के बाद सुधीर दूबे लगातार फरार चल रहा था।
जमशेदपुर में बोलती है तूती
सुधीर ने गैंगस्टर अखिलेश सिंह के गैंग में रहते ही बदमाशी शुरू की थी। बदमाशी के लगभग सारे गुर उसने इसी गैंग से सीखे थे। हालांकि, बाद में अपना गैंग बना लिया, इसीलिए जाहिर सी बात कि दोनों के बीच दुश्मनी हो गई। जी हां, कभी एक दांत की रोटी खाने वाले अखिलेश और सुधीर एक-दूसरे के जानी दुश्मन बन गए। सुधीर अखिलेश गैंग में मुख्य शूटर के रूप में काम करता था, लेकिन जब से उसने अपना गैंग शुरू किया तो वह बहुत कम समय में ही अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया। आलम यह था कि जमशेदपुर जैसे शहर में भी उसकी तूती सिर चढ़कर बोलती है।
राजनीतिक संरक्षण है प्राप्त
बदमाशी और राजनीति का गहरा संबंध होता है। यह बात हर कोई जानता भी है कि गिरफ्तार फलती-फूलती है तो केवल राजनीतिक संरक्षण में ही। ऐसा ही, सुधीर के साथ भी था। राज्य के एक पूर्व मुख्यमंत्री का संरक्षण सुधीर को मिलने की बात सामने आई थी, क्योंकि उस पूर्व मुख्यमंत्री के एक पुराने अंगरक्षक का बेटा भी सुधीर गैंग का खास सदस्य है, हालांकि वतर्मान में सुधीर दूबे के ऊपर दर्जनों मामले दर्ज हैं। करीब एक दर्जन हथियार बंद शूटरों से घिरे रहने वाला सुधीर आज अकूत संपत्ति का मालिक भी हैै। पुलिस के मुताबिक पांच साल पहले सुधीर ने अपने गांव ढकाइच में बहन की शादी के दौरान ऑटोमेटिक रायफल से हजारों राउंड फायरिग की थी। जमशेदपुर जैसे लौहनगरी से सुधीर को अच्छे-खासे पैसे रंगदारी के रूप में आने लगे थे, जिससे वह लगातार अखिलेश गिरोह के सदस्यों को तोड़कर अपने गैंग में शामिल करने लगा था और देखते-ही-देखते वह आकूत संपत्ति का मालिक भी बन गया।
अपराध की दुनिया से बाहर नहीं निकलने देता था अखिलेश
सुधीर ने कई बार अपराध की दुनिया को बॉय-बॉय करना चाहा, लेकिन अखिलेश इस पर हमेशा ही बाधक रहा। यह बात स्वयं सुधीर ने स्वीकार की। भुंइयाडीह गैंगवार के मामले में नामजद सुधीर दुबे को सीमारामडेरा पुलिस ने तीन दिन की रिमांड पर लिया था। रिमांड पूरी होने के बाद उसे कोर्ट में पेश किया गया। फिर से उसे न्यायायिक हिरासत में भेज दिया गया है। उसने बताया कि अखिलेश ने ही जमशेदपुर में उससे अपराध को अंजाम दिलाया गया, जिसकी वजह से वह काफी समय तक जेलों में रहा। उसने यह भी बताया कि इस बीच कभी भी अखिलेश सिंह ने मदद नहीं की। वह जेल से जमानत पर रिहा हुआ। इसके बाद उसने अपराध की दुनिया छोड़ने का मन बना लिया था, लेकिन अखिलेश नहीं चाहता था कि वह अपराध की दुनिया से हटे। बता दें कि अखिलेश सिंह इस समय दुमका जेल में बंद है। सुधीर ने यह भी कहा कि अखिलेश से उसकी अदावत कन्हैया सिंह और हरीश के कारण हुई और भुइयांडीह गैंगवार की घटना भी कन्हैया सिंह और हरीश सिंह के कारण ही हुई, जबकि भुइयांडीह गैंग की घटना कन्हैया सिंह के कारण हुई। उसने बताया कि सोशल मीडिया पर उसके और अखिलेश गिरोह के गुर्गों के बीच एक-दूसरे के खिलाफ कमेंट्स लिखे जा रहे थे, जिसे लेकर भुइयांडीह में गैंगवार हुई। फिलहाल, सुधीर पर 22 आपराधिक मामले दर्ज हैं।
अखिलेश नहीं करता था रूपयों का बंटवारा
अपराधी अखिलेश गैंग में रहने के दौरान सुधीर दुबे को यह पता चल गया था कि पैसे कहां-कहां से मिलते हैं। सुधीर ने बताया कि पैसे तो आते थे पर किसी को दिए नहीं जाते थे। इसी वजह से रूपयों के बंटवारे को लेकर भी विवाद हुआ। इस कारण उसने सोनारी निवासी अमित राय की हत्या के मामले में जमानत मिलने से पहले ही गिरोह छोड़ दिया था। इसके बाद कदमा के भानू मांझी समेत कई लोग उसके साथ थे। कई मामलों में वह शामिल नहीं था, बावजूद उसका नाम लेकर लोगों को डराया-धमकाया गया, जबकि वह नहीं चाहता था कि अपराध की दुनिया में रहे।
बक्सर के ही रहने वाले हैं सुधीर और अखिलेश
कभी एक साथ अपनी बदमाशी से लोगों के बीच दहशत फैलाने वाले दोनों बदमाश सुधीर और अखिलेश बक्सर जिले के ही रहने वाले हैं। सुधीर दूबे मूलरूप से बक्सर जिले के कृष्णाब्रह्म थाने के दिया-ढकाइच का रहने वाला है, जबकि सुधीर दूबे गैंग का प्रतिद्बंदी अखिलेश सिंह भी मूलरूप से बक्सर जिले के सिमरी थाना के नगवा गांव का रहने वाला है। पुलिस ने सुधीर को सबसे पहले 24 दिसंबर 2016 को जमशेदपुर के सोनारी निवासी अमित राय की हत्या के मामले में भोजपुर जिले के शाहपुर से गिरफ्तार किया था, हालांकि उस समय उसकी एनकाउंटर की अफवाह उड़ी थी। बाद में, सुधीर को झारखंड पुलिस अपने साथ लेकर चली गई। 17 अक्टूबर 2019 को हजारीबाग जेल से वह जमानत पर रिहा हुआ था। अमित राय की हत्या में उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इसमें अपील के आधार पर फिलहाल वो जमानत पर था, लेकिन पिछले साल जमशेदपुर में गैंगवार की घटना के बाद वो फरार हो गया, जिसके बाद से न केवल वह पुलिस के लिए सरदर्द बना हुआ था, बल्कि क्षेत्र में गैंगवार होने की आशंका भी बनी हुई थी, क्योंकि इसकी लोगों में काफी दशहत बनी हुई थी। सुधीर के खिलाफ रिटायर्ड जज आरपी रवि पर साकची जेल चौक पर फायरिंग, अमित राय पर साकची में फायरिंग, सोनारी में हत्या समेत दर्जनों मामले दर्ज हैं। लोगों को भी उम्मीद थी कि पुलिस जल्द-से-जल्द उसे गिरफ्तार कर लेगी, पर ऐसा ही हुआ। उसके पुलिस गिरफ्त में आने से न केवल पुलिस ने राहत की सांस ली है, जबकि लोगों को भी काफी राहत मिली है। उम्मीद है कि अब यहां होने वाली गैंगवार की घटनाओं में कमी आएगी।
बहरहाल सुधीर दुबे का पकड़ा जाना और अखिलेश सिंह का दुमका जेल में होना शहर के लिए सुखद संकेत है वहीं जिला पुलिस के लिए बड़ी कामयाबी भी जमशेदपुर पुलिस पिछले कुछ दिनों से नशा के तस्कर और नशेड़ियों के ऊपर शिकंजा कसने के साथ-साथ संगठित अपराध पर काबू पाने के लिए जो मुहिम चलाई है उसमें बहुत हद तक सफलता मिली है देखना है कि यह सफलता कब तक जिला पुलिस बरकरार रख पाती है
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