Thursday 26 August 2021

सत्ताधारी दल और विपक्ष दोनों को विदेश नीति पर सकारात्मक सोच रखने की जरूरत अन्यथा आतंकवाद पर काबू पाना असंभव

  देवानंद सिंह 

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद दुनिया में एक बार फिर आतंकवाद का खतरा मंडराने लगा है। खासकर, इससे भारत को सबसे अधिक सचेत रहने की जरूरत है, क्योंकि तालिबान को पालने पोसने वाला कोई और नहीं, बल्कि पाकिस्तान ही है। इसीलिए तालिबानी आतंकियों का सीमा पार से आतंकी गतिविधियों को अंजाम देना आसान होगा। दूसरा, इस घटनाक्रम का महत्वपूर्ण पहलू यह है कि चीन भी तालिबान के समर्थन में खड़ा है। इसीलिए तालिबानियों के लिए यह अपने आप में बड़ी ताकत साबित होने वाला है।



 और पाकिस्तान, भारत के खिलाफ इसका पूरा लाभ उठाना चाहेगा। ऐसे में, भारत के लिए सतर्क रहना बहुत ही जरूरी है, केवल सेना के मोर्चेबंदी पर नहीं, बल्कि राजनीतिक मोर्चेबंदी पर भी। सीमा पर तो हमारी सेना दुश्मन को नेस्तनाबूद कर सकती है, लेकिन राजनीतिक मोर्चे पर यह थोड़ा मुश्किल लगता है, क्योंकि अक्सर यह देखने को मिलता है कि हमारी राजनीतिक पार्टियां एकजुट होने की कोशिश नहीं करती हैं। केंद्र सरकार जब अपनी विदेश नीति को सशक्त बनाने की हर संभव कोशिश कर रही है, ऐसे में विपक्ष को भी सरकार का समर्थन करना चाहिए। यह ठीक है, आंतरिक मुद्दों को लेकर विरोधाभास झलके, लेकिन विदेश नीति के मामलों में हर संभव सहयोग की भावना झलकनी चाहिए। चाहे वह चाइना के साथ टकराव की बात हो, पाकिस्तान के साथ विवाद की बात हो, राहुल गांधी के बयान हमेशा ही जुदा रहे हैं। यह स्थिति तब है, जब सरकार विदेशी मामलों पर हमेशा ही विपक्ष से सहयोग की उम्मीद रखती है और ऐसे मुद्दों पर विपक्षी दलों को हर स्थिति से अवगत कराती है। अफगानिस्तान के मामले में भी सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है, जिसमें सरकार की तरफ से अफगानिस्तान के प्रकरण पर विपक्षी नेताओं को वहां के घटनाक्रम के बारे में जानकारी दी गई। ऐसे में, विपक्ष को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। आपको कहीं पर कुछ कमी नजर आती है तो उस संबंध में सरकार को सुझाव दिए जाने चाहिए। सार्वजनिक तौर पर सरकार विरोधी बातें नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इससे दुश्मन देश फायदा लेने की कोशिश करते हैं। अभी वाला मुद्दा बहुत अधिक संवेदनशील लगता है, क्योंकि यह सीधेतौर पर आतंकवाद से जुड़ा हुआ मामला है। तालिबानियों की सक्रियता का मतलब है, पाकिस्तान को बड़ी ताकत मिलना। तालिबानियों के हाथ जिस तरह अमेरिकी हथियारों का जखीर लगा है, उसे पाकिस्तानी आतंकी भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर सकते हैं। अफगानिस्तान की सीमा पाकिस्तान से भी लगी है और चीन से भी लगी है, इसीलिए तालिबानी आतंकियों के लिए पाकिस्तान की तरफ भारत की सीमा में घुसपैठ करना ज्यादा मुश्किल नहीं है। चीन तो  सीमा पार से आतंक में कई गुना इजाफा हो जाएगा, जो भारत के लिए चिंता का विषय है। इसीलिए तालिबानी आतंकियों के लिए पाकिस्तान की तरफ भारत की सीमा में घुसपैठ करना ज्यादा मुश्किल नहीं है। चीन तो  पाकिस्तान का दोस्त है ही, इसीलिए उसे चीन से कोई खतरा नहीं, लिहाजा पाकिस्तान की सीमा से आतंक में कई गुना इजाफा हो जाएगा, जो भारत के लिए चिंता का विषय है। इसीलिए जरूरी है कि सभी दल विदेश नीति को लेकर एक साथ आएं, तभी बढ़ते इस आतंकवाद के खतरे से निपटा जा सकता है।

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