Friday 1 April 2022

रघुवर दास और बन्ना गुप्ता की तस्वीर के सियासी मायने.....

 देवानंद सिंह                                                                                                                                             झारखंड के सियासी गलियारों में एक शानदार तस्वीर की खूब चर्चा हो रही है। चर्चा इसीलिए क्योंकि यह महज तस्वीर भर नहीं है, बल्कि राज्य की राजनीति में बदलते समीकरणों का भी एक पुख्ता संकेत है। दरअसल, जिस तरह हेमंत सोरेन सरकार में स्वास्थ्य मंत्री व राज्य के कद्दावर नेता बन्ना गुप्ता पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के बड़े नेताओं में शुमार रघुवर दास से मिले, उसे प्रेम की भाषा की राम-भरत की जोड़ी का मिलाप कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि बन्ना गुप्ता ने जो तस्वीर अपने ट्विटर हैंडल पर डाली, वह राम-भरत के मिलन



 की याद दिलाती नजर आ रही है। पर सियासी रूप से इसके कुछ और ही मायने है, क्योंकि बन्ना गुप्ता केवल स्वास्थ्य मंत्री भर नहीं हैं, बल्कि उस कांग्रेस पार्टी के नेता भी हैं, जो बीजेपी की धुर विरोधी है। और रघुवर दास इसी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और बीजेपी कांग्रेस मुक्त भारत के अभियान में जुटी हुई है। इसीलिए बन्ना गुप्ता का रघुवर दास से मिलना कांग्रेस के लिए चिंताजनक तो कहा ही जा सकता है, बल्कि हेमंत सोरेन सरकार के लिए और भी चिंताजनक है, क्योंकि लगातार खबरें आ रहीं हैं कि हेमंत सोरेन सरकार के अंदर सबकुछ सही नहीं चल रहा है, कांग्रेस के विधायक तो बगावती तेवर अपनाए हुए ही हैं बल्कि झामुमो के भी कई विधायक बीजेपी के संपर्क में बताए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक इस तरह की बातें छनकर सामने आ रहीं थीं, लेकिन अब बदलते राजनीतिक समीकरणों की तस्वीर जिस तरह खुले तौर पर सामने आ रही है, उससे राज्य के बदलते राजनीतिक समीकरणों के बारे में कयास लगाना गलत नहीं होगा। ऐसी स्थिति में फिलहाल यह कहना अभी मुश्किल लगता है कि आखिर राज्य का सियासी भूचाल आखिर कहां जाकर खत्म होगा। भले ही, सियासी गलियारों में चर्चा के ग्राम होने के बाद बन्ना गुप्ता ने इसे औपचारिक मुलाकात कहा। दरअसल, शुक्रवार को रघुवर दास की पोती का पहला जन्मदिन था, जिसमें खास मौके पर बच्ची को शुभकामना देने के लिए मंत्री बन्ना गुप्ता ने भी शिरकत की। इसके बाद उन्होंने रघुवर दास के साथ इस अंदाज में तस्वीर खिंचवाई, जिसकी चर्चा सियासी गलियारों में तो हुई ही, बल्कि आम लोग भी तस्वीर के लेकर चर्चा करते नजर आए। सोशल मीडिया में इस तस्वीर को लेकर बहुत-कुछ कहा जा रहा है, क्योंकि पक्ष विपक्ष के लोग समय-समय पर मिलते रहते हैं, लेकिन रघुवर दास और बन्ना गुप्ता के मिलन की यह तस्वीर ऐसे वक्त में सामने आई है, जब हेमंत सोरेन सरकार को गिराने के प्रयासों की खबर लगातार



 आ रही है। बन्ना गुप्ता सरकार में मंत्री हैं, लेकिन भाषाई विवाद को लेकर बन्ना गुप्ता काफी मुखर रहे हैं। उन्होंने पिछले दिनों काफी कड़क बयान दिए थे, जिसमें उन्होंने कहा था, भाषा और मां भारती के लिए वह एक बार नहीं हजार बार अपना पद कुर्बान कर सकते हैं, तभी से हेमंत सोरेन सरकार के अंदर हलचल तेज नजर आ रही है। झामुमो के विधायकों के भी बीजेपी के संपर्क में रहने की बात सामने आ चुकी है, पिछले साल भी इस तरह के घटना सामने आ चुकी है। ऐसे में राज्य के राजनीतिक गलियारों में काफी उथल पुथल है। बन्ना गुप्ता का जिस तरह भगवा प्रेम सामने आ रहा है, वह इस चर्चा को और गरम कर रहा है। केवल रघुवर दास के साथ मुलाकात से ही उनका भगवा प्रेम देखने को नहीं मिला है, बल्कि डिमना चौक से हिंदू नव वर्ष के अवसर पर निकाली गई शोभा यात्रा का हिस्सा भी बन्ना गुप्ता बने। यह शोभा यात्रा पूरी तरह भगवा मय थी। और यह शोभा यात्रा भी रघुवर दास के किसी करीबी के नेतृत्व में निकाली गई। इस अवसर पर बन्ना गुप्ता ने भगवान राम को आस्था का प्रतीक बताया। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के हाथ में भगवा झंडा भी था और वह सिर पर भगवा पगड़ी पहने और पूरी तरह भगवा रंग से सराबोर नजर आ रहे थे। बन्ना बोले- राम हमारे आस्था के प्रतीक हैं, राम का नाम मात्र लेने से शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम पुरुषार्थ के प्रतीक हैं, हमारे गौरव हैं, हम सबके हैं। सभी राज्यवासियों को हिन्दू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं। यह यह बता दें कि इससे पहले बन्ना



 गुप्ता इस तरह के कार्यक्रम में शामिल होने से परहेज करते थे, लेकिन संभवत: यह पहला मौका था,जब बन्ना गुप्ता हिन्दू नव वर्ष शोभा यात्रा में शामिल हुए हैं। राज्य में जिस तरह का राजनीतिक घटनाक्रम जन्म ले रहा है, उसमें आने वाले दिन राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण होंगे। सीएम हेमंत की भाभी सीता सोरेन भी कुछ दिनों से देवर से कुछ अधिक ही नाराज दिख रही हैं। कभी अपनी बात को लेकर सीएम हेमंत से मिलती हैं तो कभी गुरुजी शिबू सोरेन से। अब अपनी सरकार की शिकायत लेकर सीता सोरेन राज्यपाल तक पहुंच गईं हैं। जब वो वहां से निकलीं तो कहा कि मेरे खिलाफ साजिश हो रही, मेरी आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि अब इस सरकार से कोई उम्मीद नहीं बची है, लिहाजा, बन्ना गुप्ता हों या लोबिन हेंब्रम या सीता सोरेन या फिर कोई और विधायक, कोई भी हेमंत से साथ स्थायी तौर पर हमेशा के लिए जुड़े रहेंगे या नहीं..यह कहना काफी मुश्किल भरा लग रहा है।

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