Monday 20 June 2022

द्रोपदी मुर्मू बन सकती हैं देश की अगली राष्ट्रपति !2024 को साधने के लिए आदिवासी और महिला कॉम्बिनेशन का समीकरण सेट करना चाहती है बीजेपी

देवानंद सिंह


देश में 16वें राष्ट्रपति के लिए चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज है। अगले महीने 18 जुलाई को चुनाव होना है। इसके लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 29 जून रखी गई है। वोटों की गिनती 21 जुलाई को होगी। लिहाजा, यह बात पूरी तरह साफ है कि देश को अगले महीने 21 जुलाई को अगला राष्ट्रपति मिल जाएगा, क्योंकि वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त होने जा रहा है।




राष्ट्रपति को लेकर तो वैसे कई नामों पर चर्चा हो रही है, लेकिन सबसे अधिक इसके सरप्राइजिंग होने की भी बात कही जा रही है। सरप्राइजिंग यह इस मामले में ही सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किस का नाम देश के प्रथम नागरिक के लिए सोचा हुआ है। आने वाले दिनों में इस बात का पता तो चल ही जाएगा, जिस नाम पर मुहर लगाई जा सकती है, उसकी बात करें तो इसमें सबसे आगे जो नाम है, वह झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू का है। दरअसल, बीजेपी आगामी 2024 के आम चुनाव को साधने के लिए आदिवासी और महिला कॉम्बिनेशन का समीकरण सेट करना चाहती है। इसीलिए बीजेपी के सामने द्रोपदी मुर्मू से अच्छा और कोई दूसरा विकल्प नहीं है। द्रोपदी मुर्मू की छवि भी काफी सरल और ईमानदार राजनीतिज्ञ के रूप में रही है, उन्होंने झारखंड के राज्यपाल का कार्यकाल बखूबी निभाया। वह आदिवासी समाज से आती हैं। अगर, उन्हें राष्ट्रपति बना दिया जाता है तो देश की पहली आदिवासी समाज से आने वाली राष्ट्रपति होंगी।

बीजेपी के लिए द्रौपदी मुर्मू का नाम इसीलिए प्राथमिकता में है, क्योंकि बीजेपी देश में आदिवासी आबादी के सशक्तिकरण का संदेश देना चाहेगी। इसका एक और जो कारण है, वह यह है कि बीजेपी महिला राष्ट्रपति पद पर महिला का चुनाव कर विपक्षी दलों पर बढ़त भी बनाना चाहेगी।

कहा जा रहा है कि इस साल होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया जाएगा, जिसके लिए बीजेपी अपने लिए समर्थन जुटाने की प्रक्रिया में है। इसीलिए बीजेपी के लिए द्रौपदी मुर्मू का नाम प्राथमिकता सूची में शामिल है।

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू था और उनका विवाह श्याम चरम मुर्मू से हुआ था। वह ओडिशा में मयूरभंज जिले के कुसुमी ब्लॉक के उपरबेड़ा गांव के एक संथाल आदिवासी परिवार से आती हैं।

उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1997 में की थी और तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। द्रौपदी मुर्मू 1997 में ओडिशा के राजरंगपुर जिले में पार्षद चुनी गईं। उसी वर्ष मुर्मू भाजपा की ओडिशा इकाई के अनुसूचित जनजाति मोर्चा की उपाध्यक्ष भी बनीं।

राजनीति में आने से पहले, मुर्मू ने श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायरंगपुर में मानद सहायक शिक्षक और सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में काम किया था।

मुर्मू ने 2002 से 2009 तक और फिर 2013 में मयूरभंज के भाजपा जिलाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। वह ओडिशा में दो बार भाजपा की विधायक रही हैं और नवीन पटनायक सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थीं। उस समय ओडिशा में बीजू जनता दल और भाजपा की गठबंधन सरकार चल रही थी।

ओडिशा विधान सभा ने द्रौपदी मुर्मू को सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया।

द्रौपदी मुर्मू ने ओडिशा में भाजपा की मयूरभंज जिला इकाई का नेतृत्व किया और ओडिशा विधानसभा में रायरंगपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। उन्हें आदिवासी समुदाय के उत्थान के लिए काम करने का 20 साल का अनुभव है और वह भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण आदिवासी चेहरा हैं, निश्चित ही बीजेपी इस बार उनका चेहरा आगे कर आदिवासियों में अपनी पैठ मजबूत करना चाहेगी।


( राष्ट्र संवाद पत्रिका के स्थापना दिवस समारोह की तस्वीर)

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